म्याऊँ म्याऊँ
सोई सोई एक रात मैं
एक रात मैं सोई-सोई
रोई एकाएक बिलखकर
एकाएक बिलखकर रोई।
रोती क्यों ना, मुझे नाक पर
मुझे नाक की एक नोक पर
काट गई थी चुहिया चूँटी
चुहिया काट गई चूंटी भर।
सचमुच बहुत डरी चुहिया से
चुहिया से सच बहुत डरी मैं
खड़ी देखकर चुहिया को मैं
लगी काँपने घड़ी-घड़ी मैं।
सूझा तभी बहाना मुझको
मुझको सूझा एक बहाना
जरा डराना चुहिया को भी
चुहिया को भी ज़रा डराना।
कैसे भला डराऊँ उसको
कैसे उसको भला डराऊँ
धीरे से मैं बोली म्याऊँ
म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ।