तितली और कली
हरी डाल पर लगी हुई थी,
नन्ही सुंदर एक कली।
तितली उससे आकर बोली,
तुम लगती हो बड़ी भली।
अब जागो तुम आँखें खोलो,
और हमारे सँग खेलो।
फैले सुंदर महक तुम्हारी,
महके सारी गली गली।
कली छिटककर खिली रँगीली,
तुरंत खेल की सुनकर बात।
साथ हवा के लगी भागने,
तितली छूने उसे चली।