बहुत हुआ
बादल भइया
बहुत हुआ!
कीचड़-कीचड़
पानी पानी।
याद सभी को
आई नानी
सारा घर
दिन रात चुआ
जाएँ कहाँ
कहाँ पर खेलें?
घर में फंसे
बोरियत झेलें
ज्यों पिंजरे में
मौन सुआ
सूरज दादा
धूप खिलाएँ
ताल नदी
सड़कों से जाएँ
तुम भी भैया
करो दुआ!